नमस्ते दोस्तों! कैसे हैं आप सब? क्या आपने कभी कोरियाई संस्कृति के अनमोल खजानों में से एक, उनके पारंपरिक त्योहारों के व्यंजनों के बारे में सोचा है?
मैं सच बताऊं, जब मैंने पहली बार इन स्वादिष्ट पकवानों के बारे में सुना और चखा, तो मेरा मन पूरी तरह से खुशी से भर गया! ऐसा लगा जैसे सिर्फ खाना नहीं, बल्कि पूरी एक परंपरा और भावना प्लेट में परोस दी गई हो.
इन व्यंजनों में सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि परिवार का प्यार, सदियों पुरानी रीति-रिवाज और एक गहरा सम्मान भी छिपा होता है. हर एक व्यंजन की अपनी कहानी है, अपना महत्व है, जो त्योहारों के माहौल को और भी खास बना देता है.
मुझे याद है, एक बार मैंने अपने कोरियाई दोस्त के घर चुसियोक पर सोंगप्योन चखे थे, उनका स्वाद आज भी मेरी ज़ुबान पर है – हल्का मीठा और नरम चावल का केक, बिल्कुल घर जैसा एहसास!
कोरिया में, खाना सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं, बल्कि रिश्तों को मजबूत करने और पूर्वजों को याद करने का भी एक तरीका है. खासकर इन त्योहारों पर बनने वाले पकवानों की तो बात ही कुछ और होती है.
तो अगर आप भी मेरी तरह खाने के शौकीन हैं और कुछ नया, कुछ पारंपरिक और दिल को छू लेने वाला अनुभव करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है. आइए, नीचे दिए गए लेख में कोरियाई त्योहारों के इन अद्भुत और स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में विस्तार से जानते हैं!
चावल के केक का जादू: सोंगप्योन और उसके मीठे रहस्य

कोरियाई त्योहारों की बात हो और सोंगप्योन का ज़िक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता! चुसियोक, जिसे कोरियाई थैंक्सगिविंग भी कहते हैं, उस दौरान ये प्यारे-से चावल के केक हर घर में बनते हैं. मुझे आज भी याद है, पहली बार जब मैंने इन्हें देखा तो सोचा, ‘अरे वाह, ये तो किसी कलाकृति जैसे दिखते हैं!’ छोटे-छोटे, अर्धचंद्राकार, अलग-अलग रंगों में – गुलाबी, हरा, सफेद, और थोड़ा-सा पीला. इन्हें देखकर ही मन खुश हो जाता है. मेरी कोरियाई दोस्त ने बताया कि इन्हें बनाने की प्रक्रिया भी बहुत खास होती है. परिवार के सभी सदस्य साथ मिलकर चावल के आटे को गूंथते हैं, उसमें मीठी फिलिंग (जैसे तिल, शहद, चेस्टनट या लाल बीन्स) भरते हैं, और फिर उन्हें स्टीम करते हैं. सबसे खास बात ये है कि इन्हें देवदार की पत्तियों के ऊपर स्टीम किया जाता है, जिससे इनमें एक अद्भुत सुगंध आती है. जब मैंने पहली बार ये चखे, तो मुझे लगा जैसे मैं सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि परंपरा का एक टुकड़ा खा रही हूँ. इनकी बनावट थोड़ी चबाने वाली और स्वाद हल्का मीठा होता है, जो खाने के बाद देर तक याद रहता है. ये सिर्फ एक पकवान नहीं, बल्कि परिवार के एकजुट होने, भविष्य की कामना करने और पूर्वजों का सम्मान करने का प्रतीक हैं. मुझे तो इन्हें खाते हुए हमेशा एक अलग-सी शांति और खुशी महसूस होती है, शायद इसलिए क्योंकि इनमें परिवार का प्यार और आशीर्वाद भरा होता है.
सोंगप्योन: चुसियोक की पहचान
चुसियोक के त्योहार पर सोंगप्योन बनाने और खाने की परंपरा सदियों पुरानी है. ऐसा माना जाता है कि जो परिवार सोंगप्योन को सुंदर और करीने से बनाते हैं, उन्हें जीवन में अच्छी किस्मत और सुंदर संतान का आशीर्वाद मिलता है. ये सिर्फ एक स्वादिष्ट मिठाई नहीं, बल्कि खुशियों और अच्छी फसल का प्रतीक भी हैं. चावल की नई फसल से इन्हें बनाया जाता है, जो प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है. मुझे याद है, एक बार मैंने भी अपनी दोस्त के साथ इन्हें बनाने की कोशिश की थी. शुरुआत में तो ये टेढ़े-मेढ़े बन रहे थे, लेकिन हंसते-हंसते और सीखते-सीखते कुछ देर में मैं भी गोल-मटोल सोंगप्योन बनाने लगी थी! वो अनुभव मेरे लिए बहुत यादगार रहा.
स्वाद और सेहत का अनोखा संगम
सोंगप्योन सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि काफी पौष्टिक भी होते हैं. चावल का आटा, तिल, चेस्टनट, और फलियां – ये सब सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं. ये ऊर्जा देते हैं और इनमें फाइबर भी भरपूर होता है. कोरियाई लोग हमेशा से स्वाद और स्वास्थ्य के संतुलन को महत्व देते रहे हैं, और सोंगप्योन इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं. इन्हें खाने के बाद आपको पेट भरा हुआ महसूस होगा, लेकिन भारीपन नहीं. यह एक ऐसा व्यंजन है जिसे आप बिना किसी अपराधबोध के खा सकते हैं, खासकर त्योहारों के मौसम में जब हर तरफ पकवानों की भरमार होती है. मैंने पाया कि सोंगप्योन की मीठी और नमकीन फिलिंग का संतुलन इसे वाकई खास बनाता है, खासकर तिल और शहद वाला मेरा पसंदीदा है!
नववर्ष की खुशियां, सूप का स्वाद: टॉकगुक का पारंपरिक महत्व
कोरियाई नववर्ष, जिसे सीयोललाल कहते हैं, बिना टॉकगुक के अधूरा है. यह एक चावल के केक का सूप है, जो नए साल की शुरुआत में खाया जाता है. मुझे हमेशा से सूप बहुत पसंद है, और जब मैंने पहली बार टॉकगुक चखा तो मुझे इसकी सादगी और गहराई बहुत पसंद आई. पतला शोरबा, जिसमें पतले-पतले कटे हुए चावल के केक के टुकड़े तैरते हैं, ऊपर से थोड़ा-सा अंडा, मीट और हरा प्याज – दिखने में साधारण, लेकिन स्वाद में लाजवाब! कोरियाई लोग मानते हैं कि टॉकगुक खाने से आप एक साल और बड़े हो जाते हैं. तो, अगर आप अपनी उम्र के बारे में थोड़ा झिझक रहे हैं, तो इसे खाने से पहले दो बार सोच लें, हाहा! लेकिन मजाक से हटकर, यह सूप परिवार के सदस्यों के लिए एक साथ आने और नए साल के लिए शुभकामनाएं देने का एक तरीका है. इसका सफेद रंग शुद्धता और एक नई शुरुआत का प्रतीक है. चावल के केक के गोल आकार के टुकड़े, जो सिक्के जैसे दिखते हैं, धन और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं. मुझे लगता है कि हर संस्कृति में ऐसे पकवान होते हैं जो सिर्फ पेट नहीं भरते, बल्कि आत्मा को भी तृप्त करते हैं, और टॉकगुक बिल्कुल वैसा ही है. इसे खाते हुए मुझे हमेशा एक उम्मीद और ताजगी का एहसास होता है, जैसे सच में एक नई शुरुआत हो रही हो.
नया साल, नई उम्मीदें: टॉकगुक की परंपरा
सीयोललाल के दिन सुबह-सुबह, परिवार के सभी लोग एक साथ टॉकगुक का आनंद लेते हैं. यह एक पारिवारिक अनुष्ठान है जो आने वाले साल में अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता है. मेरे एक कोरियाई दोस्त ने बताया कि उनके बचपन में, उनकी दादी हमेशा उन्हें टॉकगुक खाने के लिए जोर देती थीं ताकि वे जल्दी बड़े और मजबूत बन सकें. यह कहानी सुनकर मुझे अपनी दादी की याद आ गई, जो हमेशा मुझे सर्दियों में गर्म सूप पिलाती थीं. यह दिखाता है कि कैसे खाने के माध्यम से हमारी भावनाएं और परंपराएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती हैं. टॉकगुक सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि परिवार के प्यार और आशीर्वाद का एक प्रतीक है. जब मैंने इसे पहली बार चखा, तो मुझे इसका स्वाद बहुत हल्का लगा, लेकिन जैसे-जैसे मैंने इसे खाया, इसकी गर्माहट और स्वाद मेरे दिल को छू गया.
घर पर टॉकगुक बनाने की मेरी कोशिश
मैंने सोचा, क्यों न खुद टॉकगुक बनाने की कोशिश की जाए? मैंने एक ऑनलाइन रेसिपी देखी और सामग्री इकट्ठा की: चावल के केक, गोमांस (या अपनी पसंद का कोई भी मांस), अंडा, लहसुन, सोया सॉस और हरा प्याज. सबसे मुश्किल काम था चावल के केक को सही बनावट में रखना – न बहुत नरम, न बहुत सख्त. पहली बार में शोरबा उतना स्वादिष्ट नहीं बना था जितना मैंने कोरिया में खाया था, लेकिन मेरे दूसरे प्रयास में, मैंने शोरबे को धीमी आंच पर ज्यादा देर तक पकाया और उसमें थोड़ा और लहसुन और सोया सॉस डाला. परिणाम अद्भुत था! घर पर बना टॉकगुक वाकई संतोषजनक था, और इसे खाते हुए मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अपनी रसोई में ही कोरियाई नववर्ष मना रही हूँ. यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और अब यह मेरे पसंदीदा आरामदायक पकवानों में से एक है.
परिवार का प्यार, पकवानों में सार: जेसा संग और उसके व्यंजन
कोरियाई संस्कृति में पूर्वजों का सम्मान करना बहुत महत्वपूर्ण है, और जेसा संग (Jesa Sang) इसी सम्मान का एक प्रतीक है. यह एक पारंपरिक मेज होती है, जिसे विशेष अवसरों पर पूर्वजों की आत्माओं को श्रद्धांजलि देने के लिए तैयार किया जाता है. मुझे याद है जब मैंने पहली बार एक कोरियाई परिवार में जेसा संग की तैयारी देखी थी. मैंने देखा कि कैसे हर पकवान को बहुत सावधानी और आदर के साथ तैयार किया जा रहा था. वहां सिर्फ स्वादिष्ट भोजन ही नहीं, बल्कि गहरी श्रद्धा और प्यार भी था. यह सिर्फ खाना नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है. इस मेज पर फल, सब्जियां, मीट, मछली, चावल और सूप जैसे कई तरह के व्यंजन रखे जाते हैं, जिनमें से हर एक का अपना प्रतीकात्मक महत्व होता है. यह देखकर मुझे हमारी अपनी संस्कृति की याद आ गई, जहां हम भी त्योहारों पर अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए खास पकवान बनाते हैं. यह एक ऐसा अनुभव था जिसने मुझे कोरियाई संस्कृति की गहराई और मूल्यों को समझने में मदद की.
पूर्वजों को सम्मान: जेसा संग का महत्व
जेसा संग सिर्फ एक भोजन की मेज नहीं, बल्कि एक पवित्र अनुष्ठान है. इसे आमतौर पर चुसियोक और सीयोललाल जैसे बड़े त्योहारों पर आयोजित किया जाता है. परिवार के सदस्य सबसे अच्छी सामग्री का उपयोग करके व्यंजन तैयार करते हैं, और उन्हें एक विशिष्ट क्रम में मेज पर सजाते हैं. मुझे बताया गया कि इन पकवानों का स्वाद बहुत ही शुद्ध और बिना किसी तेज मसाले वाला होता है, क्योंकि यह माना जाता है कि आत्माएं सरल और प्राकृतिक स्वाद पसंद करती हैं. यह दिखाता है कि कैसे कोरियाई संस्कृति में भोजन सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि गहरे अर्थ और सम्मान के लिए भी बनाया जाता है. मैंने यह भी देखा कि इस दौरान परिवार के सदस्य एक साथ आते हैं, प्रार्थना करते हैं और एक-दूसरे के साथ अपनी यादें साझा करते हैं. यह परंपरा वाकई दिल को छू लेने वाली है और मुझे लगता है कि यह परिवार के बंधन को मजबूत करती है.
जेसा संग के मुख्य पकवान
जेसा संग पर कई तरह के पकवान परोसे जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: बप (उबले हुए चावल), गुक (सूप), जोन (पैन-फ्राइड पकवान जैसे मछली या सब्जियां), नामुल (मौसमी सब्जियों का सलाद), और फल. मीट और मछली को अक्सर हल्का-सा ग्रिल या स्टीम किया जाता है, न कि बहुत ज्यादा तला हुआ. मुझे याद है, एक बार मैंने वहां बुचिमगे (कोरियाई पैनकेक) और संजेओक (सब्जी और मीट की कटार) चखा था, और वे इतने स्वादिष्ट थे कि मैं उन्हें भूल नहीं पाई. इनमें से प्रत्येक पकवान का अपना महत्व है और यह पूर्वजों को एक पूर्ण और संतुलित भोजन प्रदान करने का प्रतीक है. यह सिर्फ एक भव्य दावत नहीं, बल्कि एक पवित्र भेंट है जो जीवित और मृत दोनों को जोड़ती है.
रंगबिरंगे पकवान, त्योहारों की शान: बिबिम्बैप से जपचे तक
कोरियाई त्योहारों का मतलब सिर्फ विशेष अनुष्ठानों वाले व्यंजन नहीं, बल्कि ऐसे रंगबिरंगे और स्वादिष्ट पकवान भी हैं जिन्हें हर कोई पसंद करता है. बिबिम्बैप और जपचे ऐसे ही दो पकवान हैं जो किसी भी उत्सव या विशेष अवसर पर मेज पर अपनी जगह बनाते हैं. मुझे बिबिम्बैप हमेशा से बहुत पसंद आया है, क्योंकि यह सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि एक कला का नमूना है. एक कटोरी में गर्म चावल, उसके ऊपर करीने से सजी हुई विभिन्न रंग की सब्जियां (जैसे गाजर, पालक, मशरूम), गोमांस (या टोफू), और ऊपर से एक तला हुआ अंडा – और फिर सब कुछ गोचुजांग (कोरियाई मिर्च पेस्ट) के साथ मिलाया जाता है. यह सिर्फ एक रंगीन व्यंजन नहीं, बल्कि स्वाद और बनावट का एक अद्भुत मिश्रण है. हर चम्मच में आपको कुरकुरी सब्जियों, नरम चावल और थोड़ा-सा मीठा-मसालेदार गोचुजांग का स्वाद मिलेगा. यह एक ऐसा व्यंजन है जिसे मैं हर बार खा सकती हूँ और कभी बोर नहीं होती. जपचे, जो एक मीठे आलू के नूडल का व्यंजन है, भी उतना ही लाजवाब है. पतले, पारदर्शी नूडल्स को सब्जियों और मांस के साथ सोया सॉस में तला जाता है. इसकी हल्की मिठास और चबाने वाली बनावट इसे वाकई खास बनाती है.
कोरियाई त्योहारों का रंगीन थाल
कोरियाई त्योहारों के दौरान, खाने की मेज पर सिर्फ परंपरा ही नहीं, बल्कि रंगों और स्वादों का एक उत्सव भी होता है. हर व्यंजन को सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि दिखने में भी आकर्षक बनाने पर जोर दिया जाता है. मुझे लगता है कि यह कोरियाई लोगों की कलात्मकता और भोजन के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है. बिबिम्बैप और जपचे इसके बेहतरीन उदाहरण हैं. बिबिम्बैप के चमकीले रंग, पालक का हरा, गाजर का नारंगी, अंडे का पीला, और गोचुजांग का लाल, आंखें और स्वाद दोनों को भाते हैं. जपचे में भी विभिन्न सब्जियों के रंग इसे एक खुशनुमा व्यंजन बनाते हैं. इन पकवानों को देखते ही मन प्रसन्न हो जाता है, और मुझे हमेशा ऐसा लगता है जैसे मैं किसी खास दावत में हूँ. यह सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि अनुभव को और भी यादगार बनाने के लिए है.
मेरे पसंदीदा: बिबिम्बैप और जपचे
अगर मुझे कोरियाई त्योहारों के दो पकवान चुनने हों, तो मैं बिना सोचे समझे बिबिम्बैप और जपचे को चुनूंगी. बिबिम्बैप की खासियत यह है कि आप अपनी पसंद की सब्जियां और मांस डालकर इसे अपनी पसंद के अनुसार बना सकते हैं. मैंने तो इसे वेजिटेरियन तरीके से भी खाया है और यह उतना ही स्वादिष्ट लगता है. जपचे की बात करें तो, इसकी हल्की मिठास और चबाने वाली बनावट मुझे बहुत पसंद है. इसे आमतौर पर साइड डिश के रूप में परोसा जाता है, लेकिन मैं तो इसे मुख्य व्यंजन के तौर पर भी खा सकती हूँ! मुझे याद है एक बार मेरे कोरियाई दोस्त ने घर पर जपचे बनाया था और उसमें थोड़ी सी मशरूम ज्यादा डाली थी, उसका स्वाद आज भी मेरे दिमाग में है. ये दोनों व्यंजन सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि आपको कोरियाई त्योहारों की असली भावना से भी जोड़ते हैं.
सर्दियों का आराम, किमची का कमाल: कोरियाई सर्दियों के खास पकवान

जब कोरिया में ठंड बढ़ती है, तो लोगों का मन गरमागरम और आरामदायक पकवानों की ओर चला जाता है. और ऐसे में, किमची से बेहतर और क्या हो सकता है? किमची कोरियाई भोजन का आधार है, और सर्दियों में इससे बनने वाले पकवान तो और भी खास हो जाते हैं. मुझे याद है जब मैंने पहली बार कोरियाई सर्दियों में किमची जिगए (Kimchi Jjigae) चखा था – एक तीखा और स्वादिष्ट किमची स्टू जो शरीर को अंदर से गर्म कर देता है. बाहर ठंड से जम जाने के बाद, गरमागरम चावल के साथ इसे खाना स्वर्ग जैसा लगता है. किमची जिगए के अलावा, किमची से कई और स्वादिष्ट व्यंजन भी बनते हैं जो सर्दियों के मौसम को और भी खुशनुमा बना देते हैं. किमची पंचेओन (Kimchi Pancake) और किमची बोक्युमबाब (Kimchi Fried Rice) ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं जो मुझे बहुत पसंद हैं. किमची सिर्फ एक साइड डिश नहीं, बल्कि एक ऐसा इंग्रीडिएंट है जो किसी भी डिश में जान डाल देता है. इसकी खट्टी, तीखी और थोड़ी सी नमकीन स्वाद की वजह से ये किसी भी खाने को चटपटा बना देती है. मुझे तो लगता है कि कोरियाई लोगों के लिए किमची सिर्फ खाना नहीं, बल्कि भावना है!
ठंड में गर्मी का एहसास: किमची के पकवान
सर्दियों के महीनों में, कोरियाई लोग अक्सर किमची का उपयोग करके कई तरह के सूप और स्टू बनाते हैं जो शरीर को गर्म और आरामदायक महसूस कराते हैं. किमची जिगए मेरा परम पसंदीदा है. इसमें किण्वित किमची, टोफू, पोर्क (या कोई अन्य मांस), और सब्जियां होती हैं, और यह इतनी स्वादिष्ट होती है कि आप एक बार में पूरी कटोरी खत्म कर सकते हैं. मुझे याद है, एक बार जब मैं ठंड में ठिठुर रही थी, तो मेरी दोस्त ने मुझे किमची जिगए खाने के लिए दिया था, और उसके बाद मुझे इतनी राहत मिली कि मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती. इसके अलावा, किमची से बनने वाली एक और डिश है बुदे जिगए (Budae Jjigae), जिसे आर्मी स्टू भी कहते हैं, जिसमें सॉसेज और अन्य सामग्री होती है. ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि ठंड से लड़ने के लिए आपको ऊर्जा भी देते हैं.
घर पर किमची बनाना: एक यादगार अनुभव
मुझे हमेशा किमची बनाने की प्रक्रिया बहुत दिलचस्प लगती थी, इसलिए मैंने एक बार घर पर इसे बनाने की ठानी. यह एक लंबी और धैर्य वाली प्रक्रिया है, लेकिन परिणाम बहुत संतोषजनक होता है. मैंने पत्ता गोभी, मूली, लहसुन, अदरक, गोचुगारू (कोरियाई मिर्च पाउडर) और फिश सॉस जैसी सामग्री का उपयोग किया. गोभी को नमकीन पानी में भिगोना, फिर मसाले का पेस्ट तैयार करना और हर पत्ती पर लगाना – यह सब करते हुए मुझे वाकई मजा आया. सबसे मुश्किल काम था सही अनुपात में मसाले डालना. पहली बार में यह थोड़ी ज्यादा खट्टी बनी, लेकिन अगली बार मैंने सुधार किया. घर पर बनी हुई किमची का स्वाद वाकई बाजार वाली से अलग होता है, इसमें एक अपनापन और ताजापन होता है. यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा और इसने मुझे कोरियाई पाक-कला के प्रति और भी अधिक सम्मान सिखाया.
मीठे से नमकीन तक: कोरियाई पारंपरिक स्नैक्स और मिठाइयां
कोरियाई त्योहारों का मतलब सिर्फ मुख्य भोजन नहीं, बल्कि तरह-तरह के स्वादिष्ट स्नैक्स और मिठाइयां भी हैं, जो हर उम्र के लोगों को पसंद आती हैं. मुझे याद है, एक बार चुसियोक पर मैंने कुछ पारंपरिक कोरियाई मिठाइयां चखी थीं, और वे इतनी अनोखी और स्वादिष्ट थीं कि मैं उन्हें भूल नहीं पाई. चावल के आटे से बनी हुई कई तरह की मिठाइयां होती हैं, जिनमें से एक है याक्गुआ (Yakgwa), जो शहद और अदरक से बनी एक मीठी कुकी जैसी होती है. इसकी बनावट थोड़ी कुरकुरी और थोड़ी चबाने वाली होती है, और इसका स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है. इसके अलावा, हानगुआ (Hangwa) नाम की पारंपरिक मिठाइयों का एक बड़ा वर्ग है जिसमें यूललान (चेस्टनट से बनी) और गांगलान (फलियों से बनी) जैसी कई तरह की मिठाइयां शामिल हैं. ये अक्सर त्योहारों या विशेष अवसरों पर परोसी जाती हैं और इन्हें बनाने में बहुत मेहनत और कला लगती है. मुझे तो इन मिठाइयों को देखकर ही खुशी हो जाती है, क्योंकि ये सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि दिखने में भी बहुत सुंदर होती हैं, जैसे कोई छोटी-छोटी कलाकृतियां हों. कोरियाई स्नैक्स की दुनिया वाकई बहुत दिलचस्प है, जहां आपको मीठे, नमकीन और अनोखे स्वादों का अनुभव मिलेगा.
चाय के साथ पारंपरिक स्नैक्स
कोरिया में चाय का समय पारंपरिक स्नैक्स के बिना अधूरा है. याक्गुआ और हानगुआ जैसी मिठाइयां अक्सर पारंपरिक कोरियाई चाय के साथ परोसी जाती हैं. मुझे याद है, एक बार मैंने एक पारंपरिक कोरियाई चायघर में अदरक की चाय के साथ याक्गुआ चखा था, और वह अनुभव वाकई शानदार था. अदरक की तीखी चाय और शहद की मिठास वाली कुकी का संयोजन अद्भुत था. ये स्नैक्स सिर्फ भूख मिटाने के लिए नहीं, बल्कि एक संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं. ये आपको आराम करने और उस पल का आनंद लेने का मौका देते हैं. इन स्नैक्स की सबसे अच्छी बात यह है कि ये बहुत मीठे नहीं होते, जिससे आप इन्हें बिना किसी अपराधबोध के खा सकते हैं. मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन तरीका है कोरियाई संस्कृति का अनुभव करने का.
कोरियाई मीठे पकवानों की दुनिया
कोरियाई मीठे पकवानों की दुनिया सोंगप्योन और याक्गुआ तक ही सीमित नहीं है. यहां और भी कई तरह की मिठाइयां हैं जो आपका दिल जीत लेंगी. सियोल के एक पारंपरिक बाजार में, मैंने एक बार होंगसी (पर्सिमोन) से बनी कुछ मिठाइयां चखी थीं, जो प्राकृतिक रूप से मीठी और बहुत ताज़ी थीं. इसके अलावा, डोटोरिमुक (एक तरह का एकोर्न जेली) भी है, जिसे अक्सर नमकीन सॉस के साथ खाया जाता है, लेकिन इसकी एक मीठी किस्म भी होती है. कोरियाई लोग प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करके मीठे पकवान बनाने में माहिर हैं, और यह उनकी पाक-कला की एक और खासियत है. मुझे तो इन पकवानों को चखने में हमेशा मजा आता है क्योंकि हर एक का अपना एक अनूठा स्वाद और कहानी होती है.
त्योहारों में साझा करने का आनंद: परिवार के साथ खाना पकाने के अनुभव
कोरिया में त्योहारों का असली जादू सिर्फ स्वादिष्ट पकवान खाने में नहीं, बल्कि उन्हें परिवार के साथ मिलकर बनाने में है. मुझे आज भी याद है जब मेरे कोरियाई दोस्त के घर चुसियोक की तैयारी चल रही थी, तो मैंने देखा कि कैसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई किसी न किसी काम में लगा हुआ था. कोई चावल के केक का आटा गूंथ रहा था, कोई सब्जियों को काट रहा था, तो कोई पैनकेक तल रहा था. मुझे सच कहूं, तो यह अनुभव देखकर मुझे बहुत खुशी हुई. यह सिर्फ खाना पकाना नहीं था, बल्कि परिवार के सदस्यों के बीच प्यार, हंसी और एकजुटता का एक सुंदर प्रदर्शन था. हर कोई एक-दूसरे की मदद कर रहा था, पुरानी कहानियाँ सुना रहा था और आने वाले साल के लिए शुभकामनाएँ दे रहा था. मुझे लगा कि यही तो त्योहारों का असली मतलब है – अपनों के साथ समय बिताना, परंपराओं को निभाना और नई यादें बनाना. यह सिर्फ पेट भरने का नहीं, बल्कि दिल को जोड़ने का एक तरीका है. मुझे अपनी संस्कृति के त्योहारों की याद आ गई, जहां हम भी परिवार के साथ मिलकर पकवान बनाते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं. यह एक ऐसा अनुभव है जो मुझे हमेशा कोरियाई संस्कृति के करीब महसूस कराता है.
साथ मिलकर पकाना, साथ मिलकर खाना
कोरिया में, त्योहारों के दौरान परिवार के साथ मिलकर खाना पकाना एक पुरानी परंपरा है. यह सिर्फ काम नहीं, बल्कि एक मजेदार गतिविधि है जो परिवार के सदस्यों को एक साथ लाती है. मुझे याद है, एक बार मेरे दोस्त के घर सोंगप्योन बनाते समय, बच्चों ने आटे से अजीबोगरीब आकृतियां बनाना शुरू कर दिया था, और सब हंस रहे थे. यह देखकर मुझे लगा कि खाना पकाने की प्रक्रिया ही इतनी आनंददायक हो सकती है. साथ में खाना पकाने से न केवल पकवानों में और प्यार घुल जाता है, बल्कि यह परिवार के बंधन को भी मजबूत करता है. यह एक ऐसा समय होता है जब माता-पिता अपने बच्चों को परंपराएं सिखाते हैं, और बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं. यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी ज्ञान और प्यार को आगे बढ़ाने का एक सुंदर तरीका है. मुझे लगता है कि यह परंपरा वाकई बहुत खास है और इसे हर घर में निभाना चाहिए.
मेरे कुछ यादगार पल
कोरियाई त्योहारों के दौरान परिवार के साथ खाना पकाने के मेरे कई यादगार पल हैं. एक बार, मैंने एक कोरियाई परिवार के साथ जिओन (पैनकेक) तले थे. मैं शुरुआत में थोड़ा घबरा रही थी क्योंकि मुझे लगा कि मैं उन्हें अच्छे से नहीं बना पाऊंगी, लेकिन परिवार के सभी सदस्यों ने मेरी मदद की और मुझे सिखाया. हमने हंसते-हंसते कई तरह के जिओन बनाए – किमची जिओन, समुद्री भोजन जिओन, और सब्जी जिओन. फिर हमने उन्हें गरमागरम सोया सॉस में डुबोकर खाया. वह दिन मेरे लिए बहुत खास था, क्योंकि मुझे सिर्फ नए पकवान बनाना ही नहीं आया, बल्कि एक नए परिवार का हिस्सा होने का एहसास भी हुआ. ये अनुभव मुझे बताते हैं कि भोजन सिर्फ एक आवश्यकता नहीं, बल्कि संस्कृति, प्यार और साझा अनुभवों का एक माध्यम है. मैं हमेशा ऐसे पलों को संजोकर रखूंगी और जब भी मौका मिलेगा, मैं फिर से कोरियाई परिवार के साथ खाना पकाना पसंद करूंगी.
कोरियाई त्योहारों के पकवानों की यह दुनिया वाकई लाजवाब है. मुझे उम्मीद है कि आपको मेरे इन अनुभवों और जानकारी से कुछ नया सीखने को मिला होगा और शायद आप भी इन स्वादिष्ट पकवानों को चखने या बनाने की कोशिश करेंगे. ये सिर्फ व्यंजन नहीं, बल्कि कोरियाई संस्कृति और उनके दिल की एक झलक हैं. खुश रहिए, खाते रहिए!
| त्योहार | मुख्य व्यंजन | महत्व |
|---|---|---|
| चुसियोक (Chuseok) | सोंगप्योन (Songpyeon) | अच्छी फसल और पूर्वजों का सम्मान, परिवार का एकजुट होना |
| सीयोललाल (Seollal) | टॉकगुक (Tteokguk) | नए साल की शुरुआत, शुद्धता, उम्र बढ़ना, समृद्धि |
| जेसा (Jesa) | जेसा संग के व्यंजन (Bap, Guk, Jeon, Namul, Fruit) | पूर्वजों को श्रद्धांजलि और सम्मान |
| डॉल (Dol) | डॉल्सांग के व्यंजन (Bibimbap, Japchae, Tteok) | बच्चे का पहला जन्मदिन मनाना, दीर्घायु की कामना |
글을 마치며
कोरियाई त्योहारों के पकवानों की यह दुनिया वाकई लाजवाब है और मुझे उम्मीद है कि मेरे इन अनुभवों से आपको कुछ नया जानने को मिला होगा. मुझे हमेशा से इन व्यंजनों की कहानियों और उनमें छिपी भावनाओं ने मोहित किया है. यह सिर्फ खाना नहीं, बल्कि कोरियाई संस्कृति, उनके इतिहास और परिवार के प्रति उनके गहरे प्रेम का प्रतीक है. इन पकवानों को चखना और बनाना मेरे लिए सिर्फ एक culinary journey नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा रही है, जिसने मुझे इन लोगों के और करीब ला दिया है. मैं दिल से चाहती हूँ कि आप भी कभी इन स्वादिष्ट परंपराओं का हिस्सा बनें और अपनी रसोई में कोरियाई जायके का जादू बिखेरें. यह अनुभव सिर्फ आपके पेट को ही नहीं, बल्कि आपकी आत्मा को भी तृप्त करेगा, जैसा इसने मेरी आत्मा को किया है. मुझे विश्वास है कि एक बार जब आप इन्हें चखेंगे, तो आप भी मेरी तरह इनके दीवाने हो जाएंगे.
알ा দুना 쓸모 있는 정보
1. घर पर कोरियाई सामग्री कहाँ से खरीदें: अगर आप भारत में रहते हैं, तो अब कई ऑनलाइन स्टोर हैं जो कोरियाई किराना सामान जैसे गोचुजांग, गोचुगारू, चावल के केक और विशेष नूडल्स बेचते हैं. बड़े शहरों में कोरियाई सुपरमार्केट भी आसानी से मिल जाते हैं. अपने नजदीकी एशियाई किराना स्टोर पर भी एक बार पता करें!
2. सोंगप्योन बनाने के लिए खास टिप: सोंगप्योन बनाते समय चावल के आटे को अच्छी तरह से गूंथना बहुत जरूरी है ताकि वे स्टीम करने के बाद नरम और चबाने वाले बनें. फिलिंग को ज्यादा न भरें, नहीं तो वे स्टीम करते समय फट सकते हैं. देवदार की पत्तियां न मिलें, तो आप parchment paper का उपयोग कर सकते हैं, पर देवदार की पत्तियों की सुगंध बहुत खास होती है.
3. टॉकगुक के शोरबे को स्वादिष्ट कैसे बनाएं: टॉकगुक का शोरबा उसकी जान होता है. आप मांस (गोमांस या चिकन) के साथ सूखी एन्कोवी और केलप (समुद्री शैवाल) का उपयोग करके एक गहरा और स्वादिष्ट शोरबा बना सकते हैं. इसे धीमी आंच पर लंबे समय तक पकाने से स्वाद और भी निखर कर आता है. थोड़ा सा लहसुन और सोया सॉस डालना न भूलें.
4. किमची का सही उपयोग: किमची को सिर्फ साइड डिश के रूप में ही न देखें. यह एक ऐसा जादुई घटक है जो किमची जिगए, किमची पंचेओन, और किमची बोक्युमबाब जैसे कई स्वादिष्ट व्यंजन बना सकता है. जितनी पुरानी किमची होगी, उसका स्वाद उतना ही गहरा और तीखा होगा, जो स्टू के लिए एकदम सही है.
5. त्योहारों के भोजन को स्वस्थ कैसे बनाएं: कोरियाई त्योहारों के पकवान वैसे तो काफी पौष्टिक होते हैं, लेकिन अगर आप उन्हें और भी स्वस्थ बनाना चाहते हैं, तो सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें और मांस की जगह टोफू या मशरूम का उपयोग करें. तलने की जगह स्टीम या ग्रिल करना भी एक अच्छा विकल्प है. संतुलित भोजन का आनंद लें.
मध्य भाग के महत्वपूर्ण बातें
कोरियाई त्योहारों के पकवान सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं हैं, बल्कि ये एक समृद्ध संस्कृति और परिवार के गहरे मूल्यों को दर्शाते हैं. सोंगप्योन से लेकर टॉकगुक और जेसा संग तक, हर व्यंजन का अपना एक विशेष महत्व और कहानी है. इन पकवानों को परिवार के साथ मिलकर बनाना और साझा करना, प्रेम, सम्मान और एकजुटता का प्रतीक है. यह सिर्फ पूर्वजों का सम्मान करने या नए साल की कामना करने का तरीका नहीं, बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक परंपराओं को जीवित रखने का एक सुंदर माध्यम भी है. मेरे व्यक्तिगत अनुभवों ने मुझे सिखाया है कि भोजन सिर्फ स्वाद का ही नहीं, बल्कि भावनाओं, यादों और साझा अनुभवों का भी प्रतीक है. यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमें अपनों के करीब लाता है. कोरियाई पकवानों की यह यात्रा वाकई अद्भुत है, जो सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि दिल को भी छू लेती है. मुझे उम्मीद है कि आपने भी इसे उतना ही पसंद किया होगा जितना मैंने इसे आपके साथ साझा करने में किया है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖
प्र: कोरियाई त्योहारों के सबसे लोकप्रिय और स्वादिष्ट व्यंजन कौन से हैं, जिन्हें हर कोई आज़माना चाहेगा?
उ: अरे वाह! यह तो मेरा पसंदीदा सवाल है! कोरियाई त्योहारों के व्यंजन वाकई लाजवाब होते हैं और कुछ तो इतने मशहूर हैं कि उन्हें हर कोरियाई और कोरियाई संस्कृति के प्रेमी जानते हैं.
सबसे पहले, मैं ‘सोंगप्योन’ (Songpyeon) की बात करूंगी, जो चुसियोक (Chuseok) त्योहार का बादशाह है. ये छोटे-छोटे, अर्धचंद्राकार चावल के केक होते हैं, जिनमें मीठी बीन पेस्ट, तिल या चेस्टनट की स्टफिंग होती है.
मुझे याद है, जब मैंने पहली बार इन्हें चखा था, तो इनकी मुलायम बनावट और हल्का मीठा स्वाद मुझे इतना भाया कि मैं बस और खाती चली गई! इन्हें स्टीम करते समय पाइन सुइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इनमें एक अनोखी खुशबू आती है.
फिर आता है ‘टेओक्गुक’ (Tteokguk), जो नए साल (Seollal) पर खाया जाता है. यह चावल के केक का सूप होता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे खाने से आपकी उम्र एक साल बढ़ जाती है!
मुझे व्यक्तिगत रूप से इसका स्वाद बहुत पसंद है – हल्का और पौष्टिक, ठंड के मौसम में तो और भी मज़ा आता है. इसके अलावा, कई त्योहारों पर ‘जॉन’ (Jeon) यानी पैनकेक बनाए जाते हैं, जैसे किमची जॉन, समुद्री भोजन जॉन या सब्जियां जॉन.
ये कुरकुरे और स्वादिष्ट होते हैं, और इन्हें सोया सॉस में डुबोकर खाने का मज़ा ही कुछ और है. सोचिए, एक कप गर्म चाय के साथ ये जॉन, क्या कहने! ये सभी व्यंजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि उत्सव और खुशी का प्रतीक भी हैं, और इन्हें खाने से त्योहार का मज़ा दोगुना हो जाता है.
प्र: इन पारंपरिक व्यंजनों का कोरियाई संस्कृति और त्योहारों में क्या महत्व है?
उ: देखिए, कोरिया में खाना सिर्फ पोषण का साधन नहीं है, बल्कि यह उनकी संस्कृति और परंपरा का एक बहुत ही अभिन्न अंग है. खासकर त्योहारों पर बनने वाले इन व्यंजनों का एक गहरा सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व है.
उदाहरण के लिए, चुसियोक पर ‘सोंगप्योन’ बनाना और खाना पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और अच्छी फसल का धन्यवाद करने का एक तरीका है. आपने देखा होगा कि सोंगप्योन अक्सर अर्धचंद्राकार होते हैं, जो अच्छी फसल और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
लोग इसे परिवार के साथ मिलकर बनाते हैं, और मेरा मानना है कि यही इसका असली जादू है – एक साथ बैठकर, हँसी-मज़ाक करते हुए व्यंजन बनाना, यह रिश्तों को मजबूत करता है.
इसी तरह, सेओलनाल पर खाया जाने वाला ‘टेओक्गुक’ नया साल शुरू करने और पिछले साल की सारी बुरी चीज़ों को पीछे छोड़ने का प्रतीक है. इसमें चावल के केक गोल और पतले कटे होते हैं, जो सिक्के और धन का प्रतीक माने जाते हैं, जिससे नए साल में सौभाग्य और समृद्धि की कामना की जाती है.
इन व्यंजनों के माध्यम से कोरियाई लोग अपनी पहचान, अपने इतिहास और अपने मूल्यों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं. मुझे ऐसा लगता है कि हर एक निवाला सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुरानी कहानियों और भावनाओं से भरा होता है.
यह सिर्फ खाने के बारे में नहीं है; यह साझा अनुभवों, परंपराओं को जीवित रखने और परिवार के साथ बिताए गए अनमोल पलों के बारे में है, जो मुझे सच में बहुत पसंद है.
प्र: क्या इन कोरियाई त्योहारों के व्यंजनों को घर पर बनाना मुश्किल है, या क्या इन्हें भारत में भी कहीं चखा जा सकता है?
उ: यह बहुत ही व्यावहारिक सवाल है! मैं सच बताऊं, कुछ कोरियाई त्योहारों के व्यंजन बनाना थोड़ा चुनौती भरा हो सकता है, खासकर अगर आप नए हों या कोरियाई सामग्री आसानी से उपलब्ध न हो.
‘सोंगप्योन’ जैसे व्यंजन, जिनमें स्टफिंग और आकार देने की कला होती है, उन्हें बनाने में थोड़ा अभ्यास लग सकता है. मुझे याद है, जब मैंने पहली बार कोशिश की थी, तो मेरे सोंगप्योन थोड़े अटपटे बने थे, लेकिन स्वाद अच्छा था!
वहीं, ‘टेओक्गुक’ या ‘जॉन’ जैसे व्यंजन अपेक्षाकृत आसान होते हैं और इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है, खासकर अगर आपके पास चावल के केक स्लाइस या कुछ बुनियादी कोरियाई सॉस हों.
आजकल तो इंटरनेट पर ढेरों वीडियो और रेसिपीज़ उपलब्ध हैं, जो चरण-दर-चरण मार्गदर्शन करते हैं, जिससे बनाना काफी आसान हो जाता है. अब बात करते हैं कि क्या इन्हें भारत में चखा जा सकता है.
अरे हाँ, बिल्कुल! भारत में कोरियाई संस्कृति की लोकप्रियता बढ़ने के साथ, कई कोरियाई रेस्टोरेंट खुल गए हैं, खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में.
इन रेस्टोरेंट में आपको अक्सर त्योहारों के विशेष व्यंजन या उनके जैसे ही स्वादिष्ट विकल्प मिल जाएंगे. मैंने खुद दिल्ली में कुछ जगहों पर ‘जॉन’ और ‘किमची’ का मज़ा लिया है, जो बिल्कुल कोरिया जैसे ही स्वाद देते हैं.
इसके अलावा, कभी-कभी सांस्कृतिक मेलों या अंतर्राष्ट्रीय खाद्य उत्सवों में भी कोरियाई व्यंजन स्टॉल लगाए जाते हैं. अगर आपके शहर में कोरियाई स्टोर या ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर हैं, तो आप वहाँ से सामग्री खरीदकर खुद भी इन्हें बनाने की कोशिश कर सकते हैं.
मेरा सुझाव है कि शुरुआत आसान व्यंजनों से करें और धीरे-धीरे मुश्किल व्यंजनों की ओर बढ़ें. यकीन मानिए, घर पर इन व्यंजनों को बनाने का अनुभव बहुत ही संतोषजनक और मजेदार होता है!






